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1 Dec 2025, Mon

ब्लैकबोर्ड- जीजा ने मूंछ पर ताव देकर जबरन करवाई शादी:नाबालिग का निकाह; ससुराल जाने से मना किया तो बहन बोली- जिंदा दफना दूंगी

‘12 साल पहले की बात है। मेरे जीजा जी कुछ लोगों के साथ बैठकर शराब पी रहे थे। उन्होंने नशे में मूंछ पर ताव देते हुए कहा- ‘मैं अपनी साली की शादी आपके बेटे से ही करवाऊंगा। अगर नहीं की तो मैं अपनी मूंछें कटवा लूंगा।’ बस इसी मूंछ को बचाने के चक्कर में बहन ने मेरी जिंदगी दांव पर लगा दी। 15 साल की उम्र में मेरा निकाह करवा दिया ताकि जीजा जी की नाक न कटे।’ ब्लैकबोर्ड में इस बार कहानी उन लड़कियों की जिनका बाल विवाह हुआ, लेकिन समझदार होने पर उन्होंने इस शादी को मानने से इनकार कर दिया और इससे मुक्त होने के लिए लंबा संघर्ष किया… इन लड़कियों से बात करने के लिए मैं दिल्ली से अजमेर पहुंची। अजमेर शहर से 12 किलोमीटर दूर अजेसर गांव पहाड़ों से घिरा है और यहां की आबादी लगभग तीन हजार है। एक मंदिर के बाहर चबूतरे पर कुछ बच्चे दरी पर बैठकर पढ़ाई कर रहे थे। इन्हें एक लड़की पढ़ा रही थी, नाम था मतिया। मुझे देखते ही वो मेरे पास आई और बात करने लगी। 24 साल की मतिया, चीता मेहरात समुदाय से है। इस समुदाय के लोग हिंदू और मुस्लिम दोनों रिवाज को मानते हैं। मैंने सबसे पहले पूछा कि आपका नाम थोड़ा अलग है आखिर इसका मतलब क्या है? वो कहती है कि मेरा नाम मतिया रखने के पीछे भी एक कहानी है। परिवार में 5 बेटियां हो गई थीं। मां-बाप, बेटा चाहते थे, लेकिन फिर बेटी हो गई। नाम रखा, मतिया, मतलब बेटी तू मत आ। आज मैं ही अपने परिवार का खर्च चला रही हूं। भाई को पढ़ा रही हूं। पापा का इलाज करवा रही हूं। जब 8वीं पास करने के बाद, पढ़ाई पर भी रोक लग गई, घर के कामकाज में हाथ बंटाने के लिए कहा गया, तब लड़-झगड़ कर 12वीं तक पढ़ाई की। इसके बाद पापा का एक्सीडेंट हो गया और उनकी याददाश्त चली गई। मम्मी भी ज्यादा काम नहीं पातीं, उनके पैरों में रॉड डली है। बचपन से मां-बाप के प्यार के लिए तरस गई। जब उन्होंने नाम ही मतिया रख दिया तो आप समझ सकती हैं कौन मुझे चाहता होगा। कब पता चला कि आपका बाल विवाह हुआ है?
मतिया याद कर कहती है कि 2011 में जब मेरी बहन की शादी हुई तब मैं 12 साल की थी। बहन के साथ ही मेरा भी निकाह कर दिया गया। मुझे पता ही नहीं चला कि कब और कैसे मेरी शादी हो गई। बहन की शादी के लिए तैयार हुई थी। क्या पता था कि मैं खुद भी दुल्हन हूं और मेरा भी निकाह हो रहा है। इसके बाद चार दिन के लिए ससुराल भेज दिया। जब 4 दिन बाद घर वापस आई तब मां ने समझाया कि तेरी शादी हो गई है। मेरी तो ससुराल में बात भी नहीं होती थी। जिससे शादी हुई उसका नाम शाहरुख है। उससे भी मेरी कभी-कभी ही बात होती थी। मम्मी की ससुराल में ज्यादा बात होती थी। मैंने तो कभी भी इस शादी को एक्सेप्ट ही नहीं किया। अगर मुझे पता होता तो मैं शादी करती ही नहीं। बाल विवाह की बातें सोचकर मैं हमेशा रोती थी। परिवार वालों ने हम 6 बहनों की शादी एक साथ करवा दी, ताकि शादी का खर्च बार-बार न करना पड़े। तब तीन बहनें ही बालिग थीं, जबकि हम तीन नाबालिग थे। आज भी हमारे यहां बेटों के बारे में ज्यादा सोचते हैं। बेटी को जल्दी ससुराल भेजने के चक्कर में बाल विवाह करवा देते हैं। बेटी हमेशा निशाने पर होती है। बिना गलती के भी डांट पड़ती है। मेरा बाल विवाह हुआ तो इसमें मेरी क्या गलती है। फिर भी सब मुझे ही ताने मारते थे। लोगों की बातें सुन-सुनकर थक गई थी। जोर से हंसती तो सब कह देते धीरे हंसो, शादी हो गई है। घर का काम सीख, तेरी शादी हो गई। हर बात में मुझे शादी का ताना दिया जाता था। इसलिए मुझे शादी से ही नफरत हो गई। मैं अपने सपनों को जीना चाहती थी। जब ससुराल जाने से मना कर दिया तो वो लोग ताने मारने लगे। कहने लगे कि मेरे बेटे की जिंदगी पर कलंक लग गया। उसकी जिंदगी बर्बाद हो गई। अब उसकी शादी कैसे होगी। मेरी चिंता किसी को नहीं थी। क्या मेरी जिंदगी बर्बाद नहीं हुई। शादी तोड़ने के बाद से मम्मी भी मुझसे गुस्सा रहने लगीं। आस-पड़ोस के लोगों को इससे कोई मतलब नहीं है कि पड़ोस वाली बेटी भूखी है। अगर वो घर से बाहर कदम रख दे तो सब देखने लगते हैं कि कहां जा रही है। लोग ताने मारते थे कि बेटी को ससुराल भेज दो वर्ना एक दिन किसी के साथ भाग जाएगी। जवान बेटी को घर पर बिठाना सही नहीं है। आप ससुराल क्यों नहीं गईं?
पापा के एक्सीडेंट के बाद उन्हें लकवा मार गया। आधा शरीर काम नहीं करता है। ठीक से चल भी नहीं पाते। अगर मैं चली जाती तो उन्हें कौन देखता। घर में कोई कमाने वाला है ही नहीं। इतना कहते ही मतिया सिर झुकाकर रोने लगती है। खुद को संभालकर वो कहती है कि घर वाले मुझे जल्दी ससुराल भेजना चाहते थे। पड़ोसी भी इस बात का दबाव बना रहे थे। ससुराल वाले भी रोज कहते थे कि लड़की को जल्दी भेजो। जब भी घर पर ससुराल वाले आते वो यही कहते, कब भेजोगे। मुझे इस भेजोगे शब्द से ही नफरत हो गई। फिर धमकी देने लगे कि जल्दी भेज दो वर्ना दूसरी ले आएंगे। ये सब बातें सुनकर मुझे ससुराल वालों से नफरत होने लगी। मैंने भी कह दिया कि ले आओ दूसरी। अब मैं नहीं आऊंगी। शुरुआत से ही मैं गुरबत झेल रही थी। धीरे-धीरे उस लड़के को देखकर भी मुझे गुस्सा आने लगा, जिससे शादी हुई थी। जब रिश्ते के लिए मना किया तो ससुराल वाले बोले कि पांच आदमी हम भी लेकर आते हैं और पांच आदमी तुम भी लेकर आओ, फिर रिश्ता खत्म करते हैं। मां-बाप, भाई-बहन, जीजा सबके सब मुझ पर घर छोड़ने का प्रेशर बना रहे थे। किसी ने ये नहीं पूछा कि ससुराल क्यों नहीं जाना। अफसोस जताते हुए मतिया कहती है कि उस वक्त मैं बिल्कुल अकेली थी। मेरे परिवार में किसी ने मुझसे ये तक नहीं पूछा कि क्यों नहीं जाना चाहती हो। सब यही कह रहे थे चली जा, चली जा। उस वक्त कोई भी मेरे साथ नहीं था। पंचों के सामने दोनों परिवार बैठे फिर फैसला हुआ कि झगड़ा देकर इस रिश्ते से अलग हो सकती हूं। यानी आगे जिससे भी मेरी शादी होगी वो एक तय की हुई रकम उन्हें देगा जिनसे मैंने रिश्ता तोड़ा है। एक कागज पर लिखकर 50 हजार रकम तय हुई। झगड़े की रकम कम से कम 50 हजार होती है, बाकी पंचों पर निर्भर करता है कि वो कितनी रकम तय करते हैं। मेरे पास उनका दिया हुआ कोई गहना नहीं था। अगर होता तो रकम उस हिसाब से तय की जाती। मुझे ये बात चुभ गई, लगा कि मैं कोई खरीदने-बेचने वाली चीज हूं। एक कागज पर मेरी रकम तय नहीं की जा सकती। जो मुझे ब्याह कर ले जाएगा वो भी ताने मारेगा कि पैसे देकर लाया हूं। तब मैंने कोर्ट से तलाक लेने का फैसला किया और आज ये प्रकिया जारी है। कानूनी तरीके से तलाक लेने पर झगड़े की रकम नहीं देनी पड़ती है। मुझे याद है एक पंच ने मुझे कहा था कि पंचों के आशीर्वाद से जो बेटी ससुराल जाती है, वो खुश रहती है। तब मैंने कहा था कि अगर ऐसे होता तो तुम्हारा आशीर्वाद लेकर गई बेटियां विधवा क्यों घूम रही हैं। कुछ लड़कियों के पति ने तो उन्हें छोड़ भी दिया। तुम्हारा आशीर्वाद लेकर गई बेटियां खुश नहीं हैं। मतिया से बात करने के बाद मैं उसके घर गई। घर में घुसते ही सामने चारपाई पर उसकी मां फूली बैठी थी। मुझे देखते ही वो बोली मेरे दोनों पैरों में रॉड डली है। शरीर में हिम्मत नहीं है फिर भी मजदूरी करने जाती हूं। एक दिन के 400 रुपए मिलते हैं। जिसमें 100 रुपए तो आने-जाने का खर्च ही है। अब आप बताओ 300 रुपए में घर कैसे चलेगा। एक बेटी की शादी करने में 9-10 लाख का खर्च आता है। हम गरीब लोग हैं। हमारे यहां बड़ी बेटी के साथ ही छोटी बेटी की शादी साथ में ही करवा देते हैं। शुरू में हमें बहुत बुरा लगा कि इसने ससुराल जाने से मना कर दिया। रिश्तेदारों और समाज की बहुत बातें सुननी पड़ीं। लोग हमारे मुंह पर कहते थे कि तुम्हारी लड़की का किसी के साथ चक्कर होगा, भाग जाएगी, लेकिन समय के साथ अब चीजें थोड़ा ठीक हुई हैं। मतिया हमारा सहारा है। आज वही कमाकर घर चला रही है। उसने हमारी देखभाल करने के लिए ही ससुराल जाने से मना किया था। मतिया के घर के पड़ोस में ही गीता रहती है। 27 साल की गीता का भी बाल विवाह हुआ था। मैं उसके घर गई तो चेहरे पर मुस्कान लिए उसने मुझे गले से लगा लिया। मैंने पूछा कि आपके साथ क्या हुआ था?
इस पर वो कहती है कि बड़ी बहन ने मेरा रिश्ता कर दिया। जीजा ने शराब के नशे में बिना किसी से पूछे मेरी शादी तय दी। इससे मेरे घरवाले भी खुश नहीं थे। मां मुझे पढ़ा-लिखाकर किसी अच्छे घर में शादी करवाना चाहती थी। बहन कहती थी कि शादी के बाद चूल्हा-चौका ही करना है। अगर अभी शादी नहीं करोगी तो ये किसी के साथ भाग जाएगी। बहन ने मम्मी पर बहुत दबाव डाला, वो रिश्ता तोड़ने की धमकी देने लगी। उसने मेरी शादी करवाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। मम्मी भी बहन की बातों में आ गईं और उन्होंने मेरी शादी करवा दी। बड़ी बहन कभी पढ़ी नहीं इसलिए वो नहीं चाहती थी कि मैं पढ़ूं। हमारे गांव में निकाह भी मानते हैं और फेरे भी। मेरी बहन की शादी फेरे में हुई थी, लेकिन मेरा निकाह हुआ था। एक घर में या तो फेरे होते हैं या फिर निकाह, दोनों नहीं। इस बात पर भी सवाल खड़े हो रहे थे। बहन किसी भी कीमत पर मेरा रिश्ता उस घर में तय करना चाहती थी इसलिए मम्मी को बिना बताए ही मेरी सगाई करवा दी। गीता अपनी शादी की एल्बम दिखा कर कहती है कि जब भी इन तस्वीरों को देखती हूं बहुत गुस्सा आता है। बिना किसी तैयारी के जल्दबाजी में मेरा निकाह पढ़वा दिया गया। शादी में मैंने अपना कोई सपना पूरा नहीं किया। ये एल्बम 12 हजार की है तो जला भी नहीं सकते। बहन को पता था कि घरवाले निकाह के नाम पर शादी से मना कर देंगे। इसलिए वो मुझे अपने साथ ससुराल ले गई और वहीं निकाह करवा दिया। मुझे न लड़का दिखाया और ना ही उसके बारे में कुछ बताया। वो लड़का अनपढ़ और शराबी है। अब तो मेरे मां-बाप भी उससे नफरत करते हैं। मुझे सिलाई करना पसंद है और इसी से पैसे कमाकर घर चलाती हूं। शादी के 3 साल बाद ही मेरी मां की तबीयत बहुत खराब हो गई। उनका बचना मुश्किल था। ऐसे वक्त में ससुराल से कोई पूछने तक नहीं आया। ऐसे समय में भी ससुराल वाले मेरी विदाई करने के लिए जोर देने लगे। मैंने तो ससुराल जाने से साफ मना कर दिया। मेरे परिवार वालों ने भी यही कहा कि मां की तबीयत ठीक होने के बाद ही विदाई करेंगे। हालांकि, मुझे बाद में पता चला कि मेरा पति केरल में रहकर नौकरी करता था। उसने वहीं पर एक दूसरी औरत रख ली थी। मेरी मासी का बेटा भी उसके पास ही रहता था। उसी ने हमें ये बात बताई और मेरी विदाई करवाने से मना किया। कुछ दिनों के बाद मेरा पति दूसरी औरत को गांव भी लेकर आ गया। ऐसे में तो ससुराल जाने का मतलब ही नहीं था। बातचीत के दौरान मैंने देखा गीता की मां राधा घर के आंगन में उदास बैठी हैं। गीता के साथ जो कुछ भी हुआ उन्हें बर्दाश्त नहीं हुआ और तबसे उनकी तबीयत खराब रहने लगी। वो कहती हैं हमारी तो बड़ी बेटी की वजह से ही सारा काम खराब हुआ। उसने जबर्दस्ती इसका निकाह करवाया। धीरे-धीरे हमें पता चला कि वो शराब पीता है और उसका संबंध दूसरी औरतों से भी है। सारी बातें जानकर गीता ने ससुराल जाने से मना कर दिया। मैंने इस फैसले में उसका साथ दिया, लेकिन अब हम जहां भी इसकी शादी करवाएंगे, बहुत सोच-समझ कर करवाएंगे। गीता बीच में मुझे टोककर कहती है कि बहन ने तो मां-बाप की नहीं सुनी, मेरी क्या सुनती। जब मां ने भी मुझे भेजने से इनकार कर दिया तो बहन बोली-लोग दो-दो औरत से भी शादी करते हैं। वो भी रहेगी तू भी रहेगी। मैंने साफ कह दिया कि अगर मुझे वहां भेजा तो मेरा मरा मुंह देखोगी। इस पर मेरी बहन कहती है कि अगर मर जाएगी तो इसे गाड़ देंगे, लेकिन भेजेंगे वहीं। अगर प्यार से नहीं गई तो हाथ पैर बांधकर इसे जबर्दस्ती ले जाएंगे। मां ने उसे डांट-डपटकर चुप करवाया और मुझे भेजने से मना कर दिया। ये सब सुनकर बड़ी बहन बौखला गई और मां-बाप को ही मारने लगी। बहुत लड़ाई हुई, फिर वो धमकी देकर चली गई। बहन के जाने के एक महीने बाद मां ने तलाक के लिए कह दिया और कागजी कार्रवाई के बाद मेरा तलाक हो गया। उस दिन के झगड़े के बाद मेरी बहन का मां बाप से तो बोलचाल है, लेकिन मुझसे बात नहीं करती। गीता कहती है कि तलाक से पहले तो मैं हंसना भी भूल गई थी। हमेशा रोती रहती थी। मुझे लगता था कि किसी ने जेल में बंद कर दिया है। अब अपनी आजादी की खुशी है। इस बात की खुशी है कि हम लड़ाई जीत गए। ——————————————————– ब्लैकबोर्ड सीरीज की ये खबरें भी पढ़िए… 1.ब्लैकबोर्ड- 359 दिनों से शव के इंतजार में बैठा परिवार:विदेश में नौकरी के नाम पर रूसी सेना में मरने भेजा, खाने में जानवरों का उबला मांस दिया मेरे भाई रवि ने 12 मार्च 2024 को फोन में आखिरी वीडियो रिकॉर्ड किया था। तब से आज तक हम उसकी डेडबॉडी के इंतजार में बैठे हैं। एजेंट ने नौकरी के नाम पर भाई को रूसी आर्मी में भर्ती करवा दिया। यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ते हुए उसकी मौत हो गई। पूरी खबर पढ़ें… 2.ब्लैकबोर्ड-किसी के पति ने जबरदस्ती की, कोई बेटे से पिटी:तंग आकर संन्यासिन बनी, तो बाबा भी बदसलूकी करने लगे मेरा पति इतना बेरहम था, उसने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थीं। मर्द जो हरकतें कोठे पर जाकर करते हैं, वो मेरे साथ घर पर करता था। जब भी उसका दिल करता मेरे साथ जबरदस्ती संबंध बनाता, जब मन भर जाता तो मुझे उठाकर फेंक देता। पूरी खबर पढ़ें… 3. ब्लैकबोर्ड- किन्नर अखाड़े की महंत हूं, मेरा भी गैंगरेप हुआ:ट्रेन में वॉशरूम तक पीछा करते हैं, कुंभ में हमसे ही आशीर्वाद ले रहे कुंभ नगरी में 13 अखाड़ों के शिविर सेक्टर 20 में हैं। किन्नर अखाड़े का कैंप यहां से बहुत दूर सेक्टर 16 में हैं। यहां मुझे एक किन्नर महंत अपने साथी से फर्राटेदार अंग्रेजी में बात करती दिखीं। पूछने पर किसी ने बताया ये जयंती हैं। पूरी खबर पढ़ें…

By b.patel

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